
अजीत सिंह “विशिष्ट” हिन्दी साहित्य जगत के एक संवेदनशील और विचारशील लेखक हैं, जिनका लेखन पाठकों को आत्ममंथन, आत्मसाक्षात्कार और जीवन के गूढ़ प्रश्नों की ओर प्रेरित करता है। उनका लेखन न केवल साहित्यिक सौंदर्य से परिपूर्ण होता है, बल्कि उसमें सामाजिक यथार्थ, मानवीय मूल्य और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की स्पष्ट झलक भी मिलती है। वे शब्दों के माध्यम से न केवल भावनाओं को व्यक्त करते हैं, बल्कि पाठक के अंतर्मन को भी झकझोरने की कला रखते हैं। उनके लेखों और कविताओं में जहां एक ओर आध्यात्मिक गहराई दिखाई देती है, वहीं दूसरी ओर जीवन की जटिलताओं को सरलता से समझाने का प्रयास भी नजर आता है। अजीत सिंह “विशिष्ट” का उद्देश्य न केवल साहित्य के माध्यम से मनोरंजन प्रदान करना है, बल्कि पाठकों को सोचने, महसूस करने और जागरूक होने के लिए प्रेरित करना भी है। उनका मानना है कि लेखन केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज और आत्मा का दर्पण है। वे मानते हैं कि “शब्द केवल माध्यम हैं, भाव ही जीवन का सार हैं।” यही दर्शन उनके प्रत्येक लेखन में प्रकट होता है। इनकी प्रमुख कृतियाँ “मेरा ईश्वर” और “अक्षरश:” हैं।
प्रमुख कृतियाँ

“यथा नाम तथा गुण” से समाहित पुस्तक जो कि काव्य कृति के रूप में भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के माध्यम से पिछले कई वर्षों से निर्विवाद रुप से देश और प्रदेश के समस्त विकास के अंतर्गत प्रमुख योजनाओं की अद्वितीय सफलता तथा जनता को प्राप्त लाभ तथा राष्ट् की उत्तरोत्तर प्रगति को काव्य के रुप में अत्यंत सहज-सरल भाषा में दर्शाया गया है। प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण और उनकी उपयोगिता के साथ ही शास्त्र सम्मत तर्क, शिक्षा, सन्देश, उपदेश एवं वैदिक सनातन परम्पराओं का मनोहारी चित्रण। अवश्य ही पढ़ें और पढ़ाएँ साथ ही ज्ञानार्जन भी करें।
सधन्यवाद,
अजीत सिंह “विशिष्ट”

मेरा ईश्वर
सामयिक सन्दर्भों में वैदिक सनातन वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों जिनके माध्यम से हमें जीवन जीने के सिद्धान्त मिलें जो परम्पराएँ सनातन से हमारे जीवन को ऊर्जावान बनाकर अपने धर्म के प्रति अप्रतिम लगाव और एक उन्नत शैली की बड़ी मूल्यवान प्रासंगिकता का जन्म दिया है। धर्म है तो मानव सभ्यता मानव जीवन भी है हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना होगा। काव्य कृति एक लघु धर्म ग्रन्थ कहा जा सकता है। मानवीय रिश्तों के पक्ष को एक विराट रूप दिया गया है। कृति की हर पंक्ति एक आदर्श प्रस्तुत करती है। सर्वथा उम्र के हर वर्ग के लिए अत्यंत शिक्षाप्रद और लाभदायी है। कृपया कवि के परिश्रम को सामाजिक मूल्य अवश्य प्रदान करें।
सधन्यवाद,
अजीत सिंह “विशिष्ट”